मंगलवार, 27 जनवरी 2015

एक श्राप से उजड़ गई भानगढ़ की साडी खुशियां !!

दोस्तों मैं हूँ परमानन्द जांगिड़, और आज हम बात कर रहे हैं भानगढ़ किले की, जहाँ मैं खुद भी गया हूँ और वो फोटोग्राफ आपके साथ शेयर कर रहा हूँ शायद आप सब को पसंद आयेंगे I

दुनिया में ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां बुरी आत्माओं ने अपना कब्जा जमा रखा है. इतिहास के पन्नों को पलटें तो ये वही स्थान हैं जो एक समय पहले काफी खुशहाल हुआ करते थे और बस एक बुरी नजर की वजह से वह स्थान आज श्रापित हो गए हैं. जहां पहले वहां चारों ओर खुशहाली हुआ करती थी आज वह स्थान अंधेरों के बीच कहीं खो गया है. ऐसा ही एक स्थान है भानगढ़ का किला, जो अपनी भूतहा कहानियों को लेकर काफी चर्चाओं में है. शायद बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे कि यह कहानियां नहीं बल्कि एक ऐसी खतरनाक सच्चाई है जिससे आज तक पीछा नहीं छुड़वाया जा सका है.
सत्रहवीं शताब्दी में राजा सवाई मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने भानगढ़ किले का निर्माण करवाया था और किले के चारो ओर पहाड़ों की खूबसूरती है. इस किले के निर्माण में बेहतरीन शिल्पकलाओं का भी प्रयोग किया गया है और साथ ही इस किले में हिंदू देवी-देवताओं के भी मंदिरों का भी निर्माण किया गया है. भानगढ़ किले का निर्माण बेहद मजबूत पत्थरों से किया गया था जो आज भी जस के तस स्थित हैं.लेकिन इस खूबसूरत भानगढ़ किले की एक भयानक सच्चाई इसके अंदर कैद है और वह है एक तांत्रिक का श्राप, जिसकी वजह से आज भी इस किले में शाम ढलते ही रूहों और आत्माओं की आवाज आने लगती है.

कहते हैं भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत खूबसूरत थी. आसपास के राज्यों के सभी राजकुमार उससे विवाह करना चाहते थे लेकिन रत्नावती को कोई भी पसंद नहीं आता था. लेकिन उसी राज्य में रहने वाला सिंघिया, जो काले जादू का ज्ञाता था कि नजर भी रत्नावती पर थी. वह रानी रत्नावती के रूप का दीवाना था और उससे विवाह करना चाहता था लेकिन रत्नावती ने कभी उसे पलटकर नहीं देखा था.



जिस दुकान से रानी रत्नावती के लिए इत्र जाता था उसने उस दुकान में जाकर रत्नावती को भेजे जाने वाली इत्र की बोतल पर काला जादू कर उस पर वशीकरण मंत्र का प्रयोग किया. लेकिन अपने इस काले जादू का असर सिंघिया पर पलट गया और एक भारी-भरकम पत्थर के नीचे आने से काले जादूगर सिंघिया की जान चली गई. लेकिन मरते-मरते उसने राजकुमारी समेत पूरे भानगढ़ को यह श्राप दिया कि इस महल और भानगढ़ में रहने वाले सभी लोग मर जाएंगे और वह फिर कभी जन्म भी नहीं ले पाएंगे, उनकी आत्मा हमेशा इसी स्थान पर कैद रहेंगी. सिंघिया की मौत के कुछ ही दिनों बाद भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच कत्लेआम हुआ जिसमें राजकुमारी रत्नावती समेत सभी भानगढ़ वासियों की मौत हो गई.

रात को इस किले में जाना पूरी तरह निषेध है. लेकिन जिन-जिन लोगों ने वहां मौजूद आत्माओं की पड़ताल करने की कोशिश की उनका कहना था कि रात के समय वहां औरतों की चीखें और सैनिकों के चलने की आवाजें आती हैं. पूरी रात वहां शोर-शराबा होता रहता है और खतरनाक आवाजें आती रहती हैं.

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